इन दिनों सोशल मीडिय पर एक वीडियो बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सैनिकों को मिठाई भेंट करते देखे जा सकते है। दावा किया जा रहा है कि वीडियो पीएम मोदी की हालिया लद्दाख यात्रा का ही है।
आपको बता दे कि वीडियो हाल ही में भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बाद पीएम मोदी के लद्दाख दौरे के सन्दर्भ से साझा किया जा रहा है। बता दें कि 15-16 जून को लद्दाख में गालवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव के बाद 3 जुलाई, 2020 को पीएम मोदी ने लद्दाख का दौरा किया था।
कैप्शन में लिखा है: पीएम मोदी द्वारा भारत के सैनिकों के प्रति ये व्यवहार से साबित होता है कि हमने आधी लड़ाई तो जीत ही ली है। मोदी ने बस वही किया जो हमने अपनी संस्कृति की विरासत के माध्यम से प्राप्त किया। चाहे हम परीक्षा के लिए जाएं, इंटरव्यू के लिए जाए या कुछ भी महत्वपूर्ण हासिल करने, हमें माता-पिता, अभिभावकों द्वारा समान रूप से सम्मानित किया जाता है। सेना के जवानों की बॉडी लैंग्वेज देखें! वे आश्चर्यचकित हैं और साथ ही पीएम मोदी द्वारा सीधे मिठाई और समान संरक्षकता प्राप्त करने से काफी उत्साहित भी। क्या आपको दोनों कि परिस्थियों में समानता नहीं दिख रही है?
दूसरी ओर, शी जिनपिंग कभी भी इस तरह के कदम नहीं उठा सकते हैं, क्युकीं वो माओवादी विचारधारा के है। वे मानव नहीं, वह केवल निर्देश देकर सैनिकों का उपयोग रोबोट के रूप में करते हैं। अधिकांश चीनी सैनिक किसी भी मानवीय बंधन से ज़्यादा पार्टी संविधान और नीति के लिए बाध्य हैं। उदाहरण? आपने कम्युनिस्ट को हमेशा दावा करते हुए सुना होगा कि “चीनी सैनिक सेना में सिर्फ वेतन और जीवनयापन के लिए ही सेना में शामिल होते है”।
चीनी कई दशकों से ऐसा खुलेआम कर रहे हैं, चीन हमेशा एलएसी पर चीनी आक्रामकता का समर्थन करता है और भारतीय सैनिकों को एक देशभक्त नहीं बल्कि एक कर्मचारी बुलाते है जिससे भारतीय जवानों की देशभक्ति अपमानित हो। चीनी आपके विचारों को दबाने और अपमानित करने के लिए आपको भाजपा आईटी सेल कहेंगे।
इकोनॉमी से लेकर डिफेंस तक, व मनुफैचरिंग से लेकर इम्पोर्ट तक, सब कुछ निगेटिव तुलना पर हो रहा है।
चीन हमेशा संयुक्त राष्ट्र पर हावी रहा, इसलिए सीपीएम को स्पष्ट निर्देश है- हर बार पीएलए LAC पर कब्जा कर लेगा। ये कम्युनिस्ट इस सुझाव के साथ आएंगे की भारत न्याय के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय जाएंगे। याद रखें, हाल ही में गलवान झड़प के बाद CPM पोलित ब्यूरो सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने एक यही बयान जारी किया था।”
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फैक्ट चेक
न्यूज़ मोबाइल ने उपरोक्त वीडियो की जांच की और पाया कि वीडियो से जुड़ा दावा गलत है क्योंकि वीडियो पुराना है।
हमने वीडियो के कीफ़्रेम निकाले और उन्हें रिवर्स इमेज सर्च के साथ-साथ ‘पीएम मोदी’, ‘स्वीट्स’, ‘सोल्जर्स’ जैसे कीवर्ड्स के जरिए डाला। खोज ने हमें 07 नवंबर, 2018 को आउटलुक के एक लेख की ओर अग्रसर किया, जिसमें पीएम मोदी की उसी तस्वीर को सैनिकों को मिठाई देते हुए दिखाया गया था, जो कि उसी जगह से लगी जो लद्दाख में थी।
रिपोर्ट से पता चला की तस्वीर नवंबर 2018 में ली गई थी जब पीएम मोदी ने उत्तराखंड में आईटीबीपी और सेना के सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी।
उपरोक्त खोज से एक संकेत लेते हुए, आगे और खोज करने पर हमें 7 नवंबर, 2018 पर Newswire ANI का वीडियो मिला जो ANI के आधिकारिक यूट्यूब हैंडल से था।
निष्कर्ष में, उपरोक्त जानकारी यह स्थापित करती है कि वायरल वीडियो पुराना है और उत्तराखंड का है। यह पीएम मोदी की हालिया लद्दाख यात्रा से कहीं नहीं जुड़ा है जहां उन्होंने सैनिकों के साथ बातचीत की।
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